काल्पनिक Poem by Ajay Srivastava

काल्पनिक

वो प्यार मै स्वार्थ ढूंढते है|
हम नफरत मे स्वार्थ ढूंढते है|

वो सही को गलत कहते है|
हम गलत को सही कहते है|

वो झूठ को अपना समझ लेते है|
हम सच को अपना समझ लेते है|

वो काल्पनिक उडान पसंद करते है|
हम यर्थात का धरातल पसंद करते है|

वो अमृत और जहर का अंतर ढूढते है|
हम अमृत और जहर का उपयोग ढूढते है|

काल्पनिक
Monday, June 20, 2016
Topic(s) of this poem: facts
COMMENTS OF THE POEM
M Asim Nehal 20 June 2016

Wah wah........WO jeevan mein mrityu dhundte hai aur hum jeevan ka arth khojte hain

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success