साइकिल Poem by Ajay Srivastava

साइकिल

हाथो मे तो बिना किसी
विरोध के ऐसे आ जाती
जैसे कुछ हुआ ही नही
और तो और भार का अहसास ही नही 11
व्यायाम का उतम साधन है 11
ऊर्जा संरक्षण मै सहयोग करती है 11
अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुच है 11
गरीब और अमीर सबके मन भाती है 11
हर खेल समारोह फिर चाहे
एशियाई, राष्ट्रमंडल या ओलंपिक खेल हिस्सा का हुँ 11
विदेशी मुद्रा की बचत करती हुँ 11
उचे नीचे एवम पथरीले राह पर खुशी के साथ देती हुँ
हर कदम पर शिक्षा देती जीवन चलने का नाम
हर मुशकिल रास्ता सरल बनाने की शिक्षा देती
फिर भी ना जाने क्यों साइकिल को घृणा की दृष्टि से देखते है 11

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Ajay Srivastava

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