राह मे बाधा - स्वाभाव Poem by Ajay Srivastava

राह मे बाधा - स्वाभाव

राह मे बाधा का होना |
स्वाभाव है राह का |

जो सरलता से प्राप्त हो |
वो सफलता ही नही जहॉ बाधा न हो |

सफलता वही जो बाधा को हरा के मिले |
बाधा तो समय की शिक्षा है |

शिक्षा तो आधार है जन चेतना का |
जन चेतना को साथ ले |

सफलता की और कदम बडाए जा |
स्मर्ण रहे हर बाधा को अपने कदमो मे झुकाना है |

राह मे बाधा - स्वाभाव
Monday, February 22, 2016
Topic(s) of this poem: nature
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