पागल हो गए Poem by Ajay Srivastava

पागल हो गए

वो जब अन्याय के साथ हो लिए|
जब उनकी दोस्ती जूठ के साथ हो गयी|
अन्याय करना उनका धर्म हो गया|
केवल धन उनका प्यार हो गया|
साथ ही हिंसा से हाथ मिला लिया|
हो जाना नशे चूर प्रतिदिन |
लिए हाथ मे मध की बोतल|
हॉ उसी दिन उसी पल से

हम पागल हुए ईधर ऊधर जानेे लगे
हॉ उसी पल से हम पागल हो गए|

पागल हो गए
Monday, February 8, 2016
Topic(s) of this poem: evil
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