पसंद है Poem by Ajay Srivastava

पसंद है

वो कहते है मेरा कोई मजाक बनाए ये मुझे पसंद नही|
हम कहते है हमारे देश का कोई मजाक यह पसंद है|

वो कहते है मुझे कोई धोखा दे मुझे पसंद नही|
हम कहते है हमारे देश के साथ धोखा दै यह पसंद है|

वो कहते है मेरा धन कोई चुराए तो कानून से पहले सजा मे दूंगा यही मुझे पसंद है|
हम कहते है देश का धन कोई चुराए और कानून उसे सजा देने की गलती करे तो उसे बचाने की वकालत हम करेगे यही पसंद है|

वो कहते है हमारे धर कोई गन्दगी फेलाए यह मुझे पसंद नही|
हम कहते है हमारे देश गन्दगी फेलाए यह पसंद है|

वो कहते है हमारे परिवार मे प्यार और एकता बडे यह मुझे पसंद है|
हम कहते है हमारे देश मे प्यार और एकता बडे यह मुझे पसंद है|

वो कहते है हमारा परिवार खुश रखना हमारा धर्म है यह मुझे पसंद है|
हम कहते है हमारा देश सदा खुशहाल रहे यह मुझे पसंद है|

पसंद है
Saturday, February 6, 2016
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