पूछो - दर्द और समाधान Poem by Ajay Srivastava

पूछो - दर्द और समाधान

कड़कती ठंड या फिर कड़कती धुप में

सीमाओ की रक्षा करने वालो जवानो से पूछो|


अकारण हिंसा के शिकार

जन समूहों के परिवार वालो से पूछो|


सच्चाई और नियम की राह पर

चलने वालो से पूछो|


हर रोज का भोजन के लिए

मेहनत करने वालो से पूछो|


आसमान छूती मेह्गाई

झेलने वाले सामान्य जन से पूछो|


हम इसको कितने दिन तक सह सकते है

क्या दर्द है क्या समाधान कर सकते है?

धनवानों और सामर्थ्यवान लोगो

की चिंता करने वाले उन प्रचार तंत्र से पूछो|

पूछो - दर्द    और समाधान
Thursday, December 17, 2015
Topic(s) of this poem: painful
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