में हार गयी Poem by Ajay Srivastava

में हार गयी

शोलो और फौलाद की तरह
बना लो अपने अस्तित्व को
बहुत सह लिया अब और नहीं सहेंगे
अब तो दिल से कर्म करने की ठान ली है।
अब तो सब कुछ पाने की इच्छा जाग्रत हो गयी है।
जब राह परिश्र्म की चुन ली है तो
हर चुनोती को स्वीकार करने की चाहत आ गयी है।
अब ना रुकेंगे ना थमेंगे और आगे बढ़ेंगे
समय की यही पुकार है पानी है राह तो

लीजये कर्म, परिश्र्म और अपने भगवन का नाम।
राह जो पानी है वह निश्चित रूप
से तुम्हारे सामने बाहे फैलाये खड़ी हो जाएगी।
राह खूद कह देगी में हार गयी और तुम जीत गए।

में हार  गयी
Tuesday, December 15, 2015
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COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 15 December 2015

इसी प्रकार का दृढ़निश्चय और आगे बढ़ने की ललक हमें अपनी मंजिलों तक ले जायेगी. एक सुलझी हुयी कविता. अब ना रुकेंगे ना थमेंगे और आगे बढ़ेंगे समय की यही पुकार है राह खूद कह देगी में हार गयी और तुम जीत गए।

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