मजा आता है Poem by Ajay Srivastava

मजा आता है

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उनको बिगडने मे
हमे बनाने मे

उनको भडकाने मे
हमे शंति मे

उनको रूलाने मे
हमे हसाने मे

उनको दुशमनी मे
हमे दोस्ती मे

उनको ईर्षा मे
हमे सुधार मे

उनको दुत्तकारने मे
हमको अपनानेे मे

उनको चापलूसी मे
हमे कर्म मे

उनको अराजकता मे
हमे सोहाद्र मे

उनको अन्याय मे
हमे न्याय मे

उनको विद्रोह मे
हमे सहयोग मे

उनके मजे मे
हमारे मजे मे

इसी अन्तर मे
मजा आता है|

मजा आता है
Tuesday, December 15, 2015
Topic(s) of this poem: entertainment
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