तुम जो यू Poem by Ajay Srivastava

तुम जो यू

Rating: 5.0

तुम जो यू अपनेआसू को बहाओगे
हम तुम्हारे आसू को गिरनेे से पहले अपने हाथ मे से लेगे|

तुम जो यू उदास होगे
हम खुशनुमा महोल बना देगे दूर कर देगे तुम्हारी उदासी|

तुम जो यू गुस्सा करोगे
हम प्यार से गुस्से को मुसकुराहट मे बदल देगे|

तुम जो यू मुसकराहट दोगे
हम उस मुसकुराहट को सब परिवार मे बाट देगे|

तुम जो यू प्यार जिस भाव मे दोगे
हम उसी भाव मे प्यार को समाज मे बाट देगे|

ऐसे प्यार की आवशयकता है मेरे, तुम्हारे और हमारे भारत वर्ष को|

तुम जो यू
Saturday, December 12, 2015
Topic(s) of this poem: affection
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 12 December 2015

yadi har vyakti isi soch aur bhavna se kaam kare to desh ki har samasya ka samadhan nikal sakta hai. bahut sundar. chitra bhi akarshak hai.

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