श्रेष्ठता Poem by Ajay Srivastava

श्रेष्ठता

दिल में खूबसूरत फूल की तरह।
तो कभी नन्ही पारी की मुस्कान जैसी।
एक पल हरी भरी बेल का एहसास दिलाती हो।
तो दूसरे ही पल योवन में कदम रख जाती हो।

तुम कर्तव्य का बोध कराती हो।
जीवन में रोमांच भी होती हो।
तुम आवश्यकता भी पल भर हो जाती हो।
साथ शब्द का अर्थ भी तुम से है।

जैसे भी लगती हो।
जिस भाव में देखो
उसी भाव में खूब लगती हो।
बनाने वाले की श्रेष्ठता लगती हो।

श्रेष्ठता
Monday, November 23, 2015
Topic(s) of this poem: greatness
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