भारत को बचा लो Poem by Upendra Singh 'suman'

भारत को बचा लो

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भारत को बचा लो

जनमत के लुटेरों से भारत को बचा लो, जागो वतन के नौजवां ये देश संभालो.

सत्ता कि जोड़-तोड़ में जनता है दांव पर, सारा शहर सवार है किस्मत की नाव पर.
भगवान भरोसे अब तो चल रही है नईया, पतवार बेचते हैं कश्ती के वो खेवइया.
मझधार में अटकी हुई नईया को निकालो.
जागो वतन के नौजवां ये देश संभालो.


साहिल के खोज की हर कोशिश तमाम है, गाँधी के देश में अब जीना हराम है
बरबादियों के मंज़र हर ओर उठ रहे हैं, अरमान शहीदों के भारत में लुट रहे हैं.
तुम जुस्तज़ू को उनकी सच्चाइयों में ढालो.
जागो वतन के नौजवां ये देश संभालो.


मन्दिर वो लोकतंत्र का संसद बनी अखाड़ा, हैं कोशिशें बस इतनी किसने किसे पछाड़ा.
ये राजनीति है अब हिन्दोस्तां पे भारी, अब लोकतंत्र कर रहा है सिंह की सवारी.
इन मुश्किलों के बीच नई रह निकालो.
जागो वतन के नौजवां ये देश संभालो.


बलिदानियों ने जिसको अपने लहू से सींचा, हैं रहनुमा उजाड़ते देखो वही बगीचा.
रखना है सलामत ये आज़ाद भगत सिंह का चमन, जिसकी माटी को देवता भी करते हैं नमन
कंधों पे अहले वतन का अब भार उठा लो.
जागो वतन के नौजवां ये देश संभालो.


घर के चिराग ख़ुद के घर को जला रहे हैं, आ बैल मुझे मार यूँ आफत बुला रहें हैं.
गुमराह हो रही है अब हिन्द की ज़वानी, देखो पनाह मांगती है कैसे जिंदगानी.
मज़लूम बेकसों को सीने से लगा लो.
जागो वतन के नौजवां ये देश संभालो.


उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’

Sunday, November 22, 2015
Topic(s) of this poem: patriotism
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 22 November 2015

राजनेताओं के स्वार्थपूर्ण षड्यंत्रों और असामाजिक तत्वों के हाथों समाज की हो रही दुर्दशा की प्रभावशाली अभिव्यक्ति. देशभक्ति की अलख जगाते इस गीत के लिए धन्यवाद, उपेन्द्र जी. कुछ पंक्तियाँ उद्धृत हैं: सत्ता कि जोड़-तोड़ में जनता है दांव पर, सारा शहर सवार है किस्मत की नाव पर. साहिल के खोज की हर कोशिश तमाम है, गाँधी के देश में अब जीना हराम है मन्दिर वो लोकतंत्र का संसद बनी अखाड़ा, हैं कोशिशें बस इतनी किसने किसे पछाड़ा.

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Deepak Kaushik 16 December 2015

great poem sir g....reality of India....

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Anuj Kuhar 15 December 2015

woooooowowwwwwwww nice poem nd realizeeeeeee all politician r same.

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Akhtar Jawad 13 December 2015

Same is the situation here in Pakistan. Politicians are corrupt. A very impressive poem. Though written with a special reference to India but it's a great work that has an universal message.

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Narendra Kumar Mishra 06 December 2015

Wow nice poem and nice write. I look forward to reading and enjoying more of your thoughts put here.! ! Superb! ! ! !

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Arun Chauhan 05 December 2015

Real poem on politics and Indian culture thanks for sharing

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