ज़िन्दगी Poem by Upendra Singh 'suman'

ज़िन्दगी

Rating: 4.0

ज़िन्दगी तेरा यंकी क्या कब दगा दे जाये तूं.
मौत पर मुझको भरोसा इक न इक दिन आएगी.

Friday, November 20, 2015
Topic(s) of this poem: life and death
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 20 November 2015

बेमिसाल ख़याल. पढ़ कर आनंद प्राप्त हुआ. बहुत बहुत धन्यवाद, मित्र. कृपया इसे ग़ज़ल का रूप देने की कोशिश करें.

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success