पानी में छुप्पुर छइयां सइयाँ ओ मोरे सइयाँ Poem by NADIR HASNAIN

पानी में छुप्पुर छइयां सइयाँ ओ मोरे सइयाँ

पानी में छुप्पुर छइयां सइयाँ ओ मोरे सइयाँ
डोलो ना मोरे संग संग संग मोहे सइयाँ

बूंदों की लड़यां जो छूए है तन मन को
लगती है छूरी |
बारिश की बूँदें जो होंटों पे पड़ती है
बोले ये चूड़ी |
लेलो ना मोहे बहयाँ ओ सइयाँ
पानी में छुप्पुर छइयां सइयाँ ओ मोरे सइयाँ

कोयल की कुहू कुहू फूलों की खुशबू
धड़कन में मेरी तू है साँसों में तूही तू
जग सूना तेरे बिन मैं हूँ अकेली
बलमा तू सैयां मेरा तूही सहेली
चुपके से आजा मोहे लेले तू बहयाँ
पानी में छुप्पुर छइयां सइयाँ ओ मोरे सइयाँ

टिम टिम सितारे देखो कैसे नज़ारे देखो
नज़रें खाती हैं धोका दिल के इशारे देखो
झरनों से गिरता पानी बहता ये साग़र
छूता है तन मन मेरी कहता है आकर
छोड़ूँगा अब ना मैतो तेरी कलहयान
पानी में छुप्पुर छइयां सइयाँ ओ मोरे सइयाँ

नादिर हसनैन 'दरभंगवी'

Sunday, August 13, 2017
Topic(s) of this poem: feeling,love
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