आनंद Poem by Ajay Srivastava

आनंद

आखो पर दिल का गूगल घुमा कर।
अपने मोबाइल पर व्हाट अप्प्स कर।
ढूढ ले किसी खूबसूरत बाला का नंबर।
लुभा ले मना ले थोड़ी सी मधुर चैट कर।
ले जा उसको अपनी याच पर एकांत में।
कह दे जो कहना कर हाले दिल का बयान।
फिर दिल से दिल का नेटवर्क मिला।
देख ले फिर तन से तन का संगम।
दिल रोमांच से नाच उठेगा।
और यही कहेगा हाँ यही आनंद है।

आनंद
Tuesday, November 3, 2015
Topic(s) of this poem: encouragement
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