मुद्रा Poem by Ajay Srivastava

मुद्रा

मानव की सबसे सुंदर रचना
अनगिनत रगो मै रची और सजी 11
क्षगार और रूप इतना मनमोहक की
किसी का भी ईमान डगमगा जाए 11
हर किसी की चाहत और प्यार 11
खाबो खयालो मै उसी को पाने की चाहत 11
सुंदरता मे शक्ति का समवेश देखते ही बनता है
शक्ति इतनी अघिक की तबाही और बरबादी मचा दे 11
फिर भी देखो कया बुद्धिमान अनपढ़
और तो और सरकार भी उसी के पीछे भागती है 11
पूरी दुनीया को अपने इशारे पर नचाती है
सबसे आगे, आदान परदान का साधन 11
रूबल हो या डालर या रुपया
पूर्व या पश्चिम मुद्रा सर्वश्रेष्ठ है 11

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