Kamal Meena Poems

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1.
तेरी बेरुख़ी...

ना तो तू नफ़रत करता हैं
ना ही मुझे चाहता हैं
यही सिलसिला
अब मुझे बहुत सताता हैं...
...

2.
भूल गया मुझे...

आजकल मिलती नही नज़रें उनसे
फिर भी उनका ख्याल हैं
वो भूल गया मुझे
अपनी आँखों और हँसी का
...

3.
कोई तो थी वजह...

कोई तो थी वजह
मैं जो तुझसे मिला
तेरी ही थी रज़ा
मुझको जो मिली सजा
...

4.
तुझे भी एहसास हैं...

तुझे पाने की ज़िद तो कभी थी ही नहीं
बस तुझे खोना नहीं चाहता
शायद मेरे कहने का अंदाज ग़लत हो
पर तुझे भी एहसास हैं
...

5.

गली नुक्कड़ नगर चौराहा
गूँज रहा हैं एक शौर दोबारा
झूठे वादो के जंजालों में
उलझ रहा हैं फिर से ग़रीब दोबारा...
...

6.
आज फिर तेरी याद आई हैं...

आज फिर तेरी आँखें याद आई हैं
कुछ तो हैं तेरे मेरे दरमियान
कि आज भी मेरी आँख भर आई हैं
आज फिर तेरी याद आई हैं...
...

7.
चलता चल...

अरमां लिए आँखों में
बस चलता चल...चलता चल
कुछ कर दिखाने का
सब जीत जाने का
...

8.
जुदा...

रोक ना पाया दिल को
इक पल नज़रें जो तुमसे मिला बैठा
बस उस पल में ही
मैं तुम्हे जिंदगी बना बैठा
...

9.
तेरे करीब हैं...

ना बिखर तू मंज़िल करीब हैं
जिसकी करता था तू इबादत
वो खुदा तेरे करीब हैं...
जो जलती हैं आग तेरे सीने में
...

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