jitendra pathak

jitendra pathak Poems

मै नेता हूँ.
मै नेता हूँ और एक बढ़िया बनिया हूँ,
क्योंकि मै सीटों का क्रेता हूँ विक्रेता हूँ.
मोल-भाव की मेरी अलग बोली है,
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The Best Poem Of jitendra pathak

मै नेता हूँ

मै नेता हूँ.
मै नेता हूँ और एक बढ़िया बनिया हूँ,
क्योंकि मै सीटों का क्रेता हूँ विक्रेता हूँ.
मोल-भाव की मेरी अलग बोली है,
लोगो को कैसे मुर्ख बनाये, इसकी मैंने दुकान खोली है.
मै सरकार गिराने की साजिशेंबनता हूँ,
और दुसरो की साजिशों में खुद को पाता हूँ.
कभी रेलवे, कभी फिनांस तो कभी संचार पाता हूँ,
कुछ करूँ न करूँ, पर माल खूब कमाता हूँ.
जनता ने मुझे चुना, क्योंकि उन्हें चुनना था,
मै चुनाव जीता क्योंकि -मुझे माल कुटना था.
जनता का चुना हुआ मैं जनप्रतिनिधि हूँ,
इसलिए समेकित बुराइयों का मै सह्प्रतिनिधि हूँ.
मै क्रेता हूँ, मै विक्रेता हूँ,
मै नेता हूँ.

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