बेटी: ए माँ मुझे भी आने दे तेरी ममता के संसार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में
माँ: बेबस हूँ मै मेरी लाडो कुछ भी नहीं कर पाउंगी
माफ़ मुझे तू करदे तुझको जनम नहीं दे पाउंगी
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छोटे छोटे हाथों में बड़े बड़े बोझ
कूड़े के ढेर में रहे ज़िन्दगी खोज।
सुबह सवेरे निकल पड़ते है
ले हाथों में बस्ता
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हे पथिक! चलते रहो तुम
क्यों थकन से चूर हो
हौसला ना छोड़ना
चाहे मंजिल दूर हो ।
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जो चले गए केदार उनके हाल पे रोयें
जिन पर पड़ी वक़्त की मार, उनके हाल पे रोयें।
बहुगुनाजी चले अकड़ कर
सोनिया जी का हाथ पकड़ कर
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मेरे बिखरे है केश, मेरो बिगडो है भेष
मेरे लल्ला तू जब ते गयो है परदेस
सुधि कोई लई नाय पाती कोई दई नाय
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कैसे श्रंगार लिखूँ ऐसे हालातों में
जाने क्या रखा है इन प्यार की बातों में
फैली महँगाई है कैसी मंदी छाई है
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