Anoop Pandit Poems

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बेटी: ए माँ मुझे भी आने दे तेरी ममता के संसार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में

माँ: बेबस हूँ मै मेरी लाडो कुछ भी नहीं कर पाउंगी
माफ़ मुझे तू करदे तुझको जनम नहीं दे पाउंगी
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2.
बाल श्रम

छोटे छोटे हाथों में बड़े बड़े बोझ
कूड़े के ढेर में रहे ज़िन्दगी खोज।

सुबह सवेरे निकल पड़ते है
ले हाथों में बस्ता
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3.
पथिक

हे पथिक! चलते रहो तुम
क्यों थकन से चूर हो
हौसला ना छोड़ना
चाहे मंजिल दूर हो ।
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4.
आओ मिलकर रोयें हम

जो चले गए केदार उनके हाल पे रोयें
जिन पर पड़ी वक़्त की मार, उनके हाल पे रोयें।
बहुगुनाजी चले अकड़ कर
सोनिया जी का हाथ पकड़ कर
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5.
माँ की पाती

मेरे बिखरे है केश, मेरो बिगडो है भेष
मेरे लल्ला तू जब ते गयो है परदेस

सुधि कोई लई नाय पाती कोई दई नाय
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6.
कैसे श्रंगार लिखूँ

कैसे श्रंगार लिखूँ ऐसे हालातों में
जाने क्या रखा है इन प्यार की बातों में

फैली महँगाई है कैसी मंदी छाई है
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7.
नसीहत

रूबरू हो ग़मों से पर ये अहसास रख
गम कभी दूर तलक नहीं जायेंगे
बीत जायेंगे दिन दुखों के अनु
दिन सुखों के भी फिर लौट कर आयेंगे
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