आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है-18-4-15-7: 29 AM
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
पलकें नीचें हैं, थोड़ी घबराई है
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दर्द और रिश्ते 14.2.16—12.50 PM
दर्द और रिश्ते का रिश्ता भी कमाल है
बिना दर्द के बनता नहीं
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तुम न जाया करो -23.7.15- 9.10 AM
इतनी सज धज के
तुम न जाया करो
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लम्हा लम्हा जिंदगी यूँ ही कटेगी 10.12.15—4.00 PM
लम्हा लम्हा जिंदगी यूँ ही कटेगी
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आज सुबह….! 12.4.16—8.14 PM
आज सुबह सूर्य देवता आये
और लगे मुझसे बतियाए
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किसने बुलाया 20.3.16—7.32 AM
किसने बुलाया जो तुम चले आते हो
क्यूँ परेशान हो जो तुम छलक जाते हो
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She is my girl friend-17.9.15—7.18 PM
She is the one
The most beautiful girl
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हाँ जमूरा हूँ 15.8.16- 7.29 AM
काठ की हाँडी अग्नि सवार है
जिंदगी के दिन केवल चार हैं
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क्यूँ करते रहते हो इशारे 5.12.15—6.21 AM
क्यूँ करते रहते हो इशारे
जब पास आना नहीं है
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मेरा संगीत हो 22.6.16—4.35 AM
जिंदगी के कुछ छणों को बेशक उधार लो
बहुत ज्यादा न सही बेशक कभी कभार लो
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एक शीशा चरमराया -29.8.15—3.33AM
एक शीशा चरमराया
कुछ समझ नहीं आया
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A-251 मेरा रक़ीब 13.3.17-7.00 AM
मुझे मेरे रक़ीब से प्यार हो गया
महबूबा मेरी का वो यार हो गया
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देखा है इनको 26.4.16—10.15 AM
गरीब गुरबों की क्या बात करूँ
न तो हैवानों में आते हैं
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तेरा करीब आना 28.2.16—8.00 AM
तेरा करीब आना और फिर मुस्कराना
नज़रें करीब लाना और मुझको बुलाना
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A-271 तेरी इनायत 15.5.17- 11.21 PM
तेरी नज़रों में देखूं और प्यार करता जाऊँ
तेरी इनायत हो तो थोड़ा इज़हार कर लूँ
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बहाना ढूँढते हो
कभी मुस्कुराने का
कभी खिलखिलाने का
झूठी हँसी हँसकर
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A-290 एक मुसाफ़िर 22.6.17-6.52 AM
एक मुसाफ़िर की नज़र में बता दे तू कौन है
खुदा है ज़मीं है हलचल है या कि
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A-291 मैं चाहता हूँ 22.6.17- 10.32 AM
मैं चाहता हूँ, तुमको, तुमसे ज्यादा प्यार करूँ
हर लम्हा तेरे साथ रहूँ, खुल के इज़हार करूँ
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I was passionate about writing poems but due to sudden death of my father in 1971. I started struggling for my bread & butter. And now after 44 years my first poetry came to me as ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? -18-4-15-7: 29 AM I am so thankful to god awaking me again with a new soul. My poetries is also available at gogiaaps.blogspot.in i use to put date & time. when poetry comes to me.)
A-002. आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है-18-4-15-7: 29 AM
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
पलकें नीचें हैं, थोड़ी घबराई है
थोड़ी शरमाई है, घूँघट में आई है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
मेरी कविता का आना कोई अक्स्माती नहीं है
कई तूफानों के घेरे और कोई वाकिफ नहीं है
पता नहीं कितने थपेड़े वो सहती आई है
कितनी चोटें खा कर फिर भी मुस्कराई है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
एक कदम उसने जब मेरी और बढ़ाया है
मन उसका एक बार तो बहुत घबराया है
घबराहट भी दिखती है उसके पसीने में
बेचैनी भी नज़र आती है उसके सीने में
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
आ जाऊँ अब पूछती है, पर्दा कर इशारे से
कोई देख न ले, मर न जाऊँ शर्म के मारे से
तुम क्या जानो, जानू, लज्जा क्या चीज़ होती है
औरत का एक ही तो धन है, जब वो करीब होती है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
उसको देख कर तो चाँद भी मुस्कुराया है
वो संगीत, वो नगमा, बस आया की आया है
क्या करेगी वहां किसी की पायल की झंकार
खुदा खुद.. जहाँ अपनी सुध बुध खोकर आया है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
गज़ब का शरूर है उसकी निगाहों में
उसका देखना, चले आना मेरी बाहों में
बाहों में आना भी बना एक अफ़साना है
पता है क्यों, क्यूंकि ये रिश्ता बहुत पुराना है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
बाहों में आना फिर समाना और फिर भूल जाना
सीने से लगी, और उसकी निगाहों का नम होते जाना
धीरे से फिर पलकों को ऊपर उठाना और बताना
मुक्कों से गुस्से का इज़हार कर कहना और न सताना
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
आज मुझे एहसास हुआ इसके तनहा होने का
इसकी तड़प, इसका दर्द, इसके आंसू पिरोने का
कभी जाना ही नहीं की करीबी किसको कहते हैं
किसके संग रहना है और किसके संग रहते हैं
खो ही जाती मेरी कविता दुनिया के मेले में
शुक्र है खुदा का मिल गयी मुझे अकेले में
इसका मिलना और ये तोहफा जैसे कोई हसीना है
मेरे दिल की बात करो ये भी कितना….. कमीना है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
पलकें नीचे हैं, थोड़ी घबराई है
थोड़ी शरमाई है, घूँघट में आई है
आज मेरी कविता मेरे पास वापस आई है
Poet: Amrit Pal Singh Gogia