Alfaz Ajnabi Poems

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1.
ए दोस्त

ए दोस्त आ परवाने सा थोडा जल के देंखे! !
आज बस खुद को थोडा बदल के देंखे! !
अब छोडो रस्मो-रिवाज़ का अलाप भी तुम -
अरे कुछ दूर अपने कदमो पे चल के देंखे! !
...

2.
खिलने दें

आओ दिल से दिल मिला कर देंखे, रुखसारो को खिलने दें !
चलो चाँद को जमीं पर लायें और उन सितारों को खिलने दें!
तितलियों के पीछे भागे, भंवरों सा हम गुनगुनाये -
आओ सावन को बुला के लाये और बहारो को खिलने दें!
...

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